Friday, January 11, 2019

Swami Vivekananda Jayanti 2019 : युवाओं को प्रेरित करते हैं ये 5 विचार, पढ़ें उनके शिकागो भाषण के मुख्य अंश

swami vivekanand
स्वामी विवेकानंद की जयंती हर साल 12 जनवरी को मनाई जाती है। इस दिन को पूरे देश में राष्ट्रीय युवा दिवस के तौर पर मनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद श्री रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे।
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी सन 1863 को कोलकाता (कलकत्ता) के एक कायस्थ परिवार में हुआ था। बचपन में उनका नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। उनके पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के वकील थे।
स्वामी विवेकानन्द ने अपने विचारों से ना सिर्फ भारत का नाम रौशन किया बल्कि दुनिया में भी देश का मान बढ़ाया था। अमेरिका के शिकागो शहर में दिया गया उनका ओजपूर्ण भाषण आज भी काफी लोकप्रिय है। सन 1893 में उन्होंने शिकागो में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में दुनिया को हिंदुत्व और आध्यात्म का पाठ पढ़ाया था। यहां उन्होंने भारतीय संस्कृति और भारतीय ज्ञान से दुनिया को रुबरू करवाया था।
स्‍वामी विवेकानंद ऐसे महापुरुष हैं जिनके विचार आज भी लोगों को प्रेरणा देते हैं। स्वामी विवेकानंद ने मानवता की सेवा और परोपकार के लिए 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। इस मिशन का नाम विवेकानंद ने अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के नाम पर रखा था। 4 जुलाई 1902 को स्वामी विवेकानंद का निधन हो गया, लेकिन उनके विचार आज भी उन्हें लोगों के बीच जीवित रखे हुए हैं।
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आइए जानते हैं स्वामी विवेकानंद के कुछ प्रेरक विचार
  • पढ़ने के लिए जरूरी है एकाग्रता, एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान। ध्यान से ही हम इन्द्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते है।
  • दिन में कम से कम एक बार अपने आप से बात करें। अन्यथा आपने दुनिया के सबसे बुद्धिमान व्यक्ति से होने वाली मुलाकात को छोड़ रहे हो।
  • जो लोग आपकी मदद करते हैं उन्हें कभी मत भूलो। जो आपको प्यार करते हैं उनसे कभी घृणा न करो। जो लोग तुम पर भरोसा करते हैं उन्हें कभी भी धोखा न दो।
  • जब तक तुम अपने आप पर भरोसा नहीं कर सकते तब तक तुम्हें ईश्वर पर भरोसा नहीं हो सकता।
  • उठो, जागो, और तब तक मत रुको जब तक तुम अपने लक्ष्य को नहीं प्राप्त कर लेते।
शिकागो भाषण के कुछ अंश
स्वामी विवेकानंद ने अपने भाषण की शुरुआत प्रिय बहनो और भाइयो से की थी। इसके बाद उन्होंने कहा, 'आपके इस स्नेहपूर्ण और जोरदार स्वागत से मेरा हृदय अपार हर्ष से भर गया है। मैं आप सभी को दुनिया की सबसे पुरानी संत परंपरा की ओर से शुक्रिया करता हूं। मैं आपको सभी धर्मों की जननी की तरफ से धन्यवाद देता हूं।'
उन्होंने कहा, 'मेरा धन्यवाद उन लोगों को भी है जिन्होंने इस मंच का उपयोग करते हुए कहा कि दुनिया में सहनशीलता का विचार भारत से फैला है।' स्वामी विवेकानंद ने आगे बताया था कि उन्हें गर्व है कि वे एक ऐसे धर्म से हैं, जिसने दुनियाभर के लोगों को सहनशीलता और स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है।
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'सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं'
शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन के अपने भाषण में विवेकानंद ने कहा था कि हम सिर्फ सार्वभौमिक सहनशीलता में ही केवल विश्वास नहीं रखते हैं। बल्कि हम दुनिया के सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं। मैं गर्व करता हूं कि मैं एक ऐसे देश से हूं, जिसने इस धरती के सभी देशों और धर्मों के परेशान और सताए गए लोगों को शरण दी है।
उन्होंने कहा कि यह बताते हुए मुझे गर्व हो रहा है कि हमने अपने हृदय में उन इजराइलियों की पवित्र स्मृतियां संजोकर रखी हैं, जिनके धर्म स्थलों को रोमन हमलावरों ने तोड़-तोड़कर खंडहर में तब्दील कर दिया था। इसके बाद उन्होंने दक्षिण भारत में शरण ली थी।
स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि सभी धर्मों के लोगों को शरण दी। मुझे इस बात का गर्व है कि मैं जिस धर्म से हूं, उसने महान पारसी धर्म के लोगों को शरण दी। इसके बाद अभी भी उन्हें पाल रहा है। इसके बाद विवेकानंद ने कुछ श्लोक की पंक्तियां भी सुनाई थीं।
रुचीनां वैचित्र्यादृजुकुटिलनानापथजुषाम्। नृणामेको गम्यस्त्वमसि पयसामर्णव इव।।
श्लोक का ये है मतलब: 
जैसे नदियां अलग अलग स्रोतों से निकलती हैं और आखिर में समुद्र में जाकर मिलती हैं। वैसे ही मनुष्य अपनी इच्छा के अनुरूप अलग-अलग रास्ते चुनता है।
उन्होंने कहा, 'लंबे समय से कट्टरता, सांप्रदायिकता, हठधर्मिता आदि पृथ्वी को अपने शिकंजों में जकड़े हुए हैं। इन सभी ने धरती को हिंसा से भर दिया है। कई बार धरती खून से लाल हुई है। इसके अलावा काफी सभ्यताओं का विनाश हुआ है और न जाने कितने देश नष्ट हो गए हैं।

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