Tuesday, January 15, 2019

Sake Dean Mahomed: पहला इंडियन जिसने यूरोप में चखाया भारतीय स्वाद, खोला 'शैम्पू'

Sake Dean Mahomed
Sake Dean Mahomed: गूगल (Google) ने आज एंग्लो-इंडियन (Anglo-Indian) शेक दीन मोहम्मद (Sake Dean Mahomed) की याद में डूडल (Google Doodle on Sake Dean Mahomed) बनाया है। शेक दीन मोहम्मद उद्दमी, सर्जन और यात्री रहे हैं, जिनका जन्म 1759 में पटना (Patna) में हुआ था। आज ही के दिन यानि 15 जनवरी को उन्होंने अंग्रेजी में किताब प्रकाशित की थी, जो कि किसी भी भारतीय (Indian) द्वारा पहली किताब है। सिर्फ यही नहीं, शेक दीन मोहम्मद यूरोप (Europe) और भारत (India) के बीच संबंधों की एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं, जिसने भारतीय खानपान (Indian Cuisine) और नाम को यूरोप में फैलाया। इसी कारण उन्हें पश्चिम दुनिया (Western World) के गैर-यूरोपीय (Non-European) प्रवासी लोगों (Immigrants) की सूची सबसे महत्वपूर्ण शख्सियतों में से एक माना जाता है।

ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिक भी रहे
शेक दीन मोहम्मद के पिता ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) में काम किया करते थे, लेकिन सिर्फ 10 साल की उम्र में शेक ने उन्हें खो दिया। जिसके बाद शेक दीन मोहम्मद को कैप्टन गॉडफ्रे इवान बेकर के विंग में शामिल कर लिया गया और वो ईस्ट इंडिया कंपनी की बंगाल रेजिमेंट के सैनिक रहे।
यूरोप में की शैम्पू की शुरुआत
1782 में इंग्लैंड जाने के बाद शेक दीन मोहम्मद ने 1810 में Hindoostane Coffee House के नाम से भारतीय रेस्तरां खोला, लेकिन वह दो साल के अंदर ही बंद करना पड़ा। यह रेस्तरां ब्रिटेन में किसी भी एशियाई द्वारा खोला गया पहला रेस्तरां था। इसके बाद उन्होंने 1814 में ब्राइटन जाकर 'शैम्पू' की शुरुआत की। यह एक स्टीम बाथ और भारतीय चिकित्सीय मालिश वाला पार्लर था, जिसने मोहम्मद को पूरे यूरोप में पहचान दिलाई। शैम्पू शब्द हिंदी के चंपी शब्द से प्रेरित होकर बना है, जिसका अर्थ होता है 'सिर की मालिश'। शैम्पू की सफलता देखकर 1822 में चौथे किंग जॉर्ज ने उन्हें अपने पर्सनल चंपी सर्जन के तौर पर नियुक्त कर लिया। शेक दीन मोहम्मद की मृत्यु 1851 में हुई और उन्हें सेंट निकोलस चर्च के एक कब्रिस्तान में दफनाया गया। आज भी ब्राइटन संग्राहालय में उनकी तस्वीर मौजूद है।

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